आज फिर ऑफिस में सिया के बॉस ने उसे गलत तरीके से छूने की कोशिश की।
काम में डूबी सिया ने अचानक अपने हाथ पर कुछ सरकता हुआ महसूस किया। घबराकर जैसे ही उसने हाथ हटाया, देखा कि उसका बॉस उसके बगल में खड़ा एक धूर्त मुस्कान के साथ उसे घूर रहा था।
सिया का खून खौल उठा, पर घर की जरूरतों और मजबूरियों का ख्याल आते ही वह फिर से शांत हो गई।”सिया नाम है तुम्हारा… कभी तो सीरत दिखा दिया करो,” कहता हुआ बॉस हंसते हुए अपने केबिन की तरफ चला गया।”क्या कर सकते हैं सिया? हमारी किस्मत में यही लिखा है… ना नौकरी छोड़ सकते हैं, ना ही कुछ बोल सकते हैं,” सिया की सहकर्मी तन्वी ने कहा।
उसकी बातों ने सिया की आँखों में आँसू ला दिए। सिया, तन्वी, और राधिका तीनों एक ही हॉस्टल में रहती थीं और एक ही कंपनी में काम करती। उनकी एक समानता यह भी थी कि तीनों की नौकरी से ही उनके घरों का खर्च चलता था। इसी कारण वे तीनों अपने बॉस की हरकतों को चुपचाप सहती रहती थीं।
रोज ऑफिस की सीढ़ियाँ मानो भारी हो जातीं और वे अनिच्छा से उन्हें चढ़तीं, दिनभर की बेइज्जती को अपने अंदर दबाकर शाम को हॉस्टल लौटतीं। ऑफिस के बाकी पुरुष कर्मचारी भी यह सब चुपचाप देखते रहते, किसी को हिम्मत नहीं होती थी कि कुछ बोले।एक सर्द सुबह सिया हॉस्टल के बगीचे में बैठी हुई थी, ओस की बूँदों को ध्यान से देखती हुई।
तभी तन्वी और राधिका उसे खोजते हुए वहाँ पहुँचीं।”सिया! यहाँ बैठी हो? हम कमरे में तुम्हें नहीं देख घबरा गए थे,” राधिका ने कहा।”इतनी ठंड में बाहर बिना किसी चादर के क्यों बैठी हो?” तन्वी ने पूछा।सिया ने धीमे से कहा, “इन ओस की बूँदों को देखो… ये कितनी नाजुक होती हैं, एक ही जगह रुकती हैं, फिर धीरे-धीरे विलीन हो जाती हैं।
पर जब ये मिल जाती हैं, तो चाहे जिस दिशा में बहने लगती हैं, बेखौफ… हम भी अगर एक होकर खड़े हो जाएं, तो इस रोज-रोज के अपमान से मुक्ति पा सकते हैं।””लेकिन हम कर क्या सकते हैं?” दोनों ने पूछा।सिया ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ मोबाइल उठाकर कहा, “थोड़ी हिम्मत दिखानी होगी। ये सब रिकॉर्ड करना और सच का सामना करवाना ही एक रास्ता है।
“अगले दिन, ऑफिस में बॉस ने तन्वी से कहा, “क्या बात है तन्वी, आज तो कमाल लग रही हो!” वह उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसकी ओर बढ़ा। तन्वी तुरंत एक कदम पीछे हट गई। बॉस ने हंसते हुए कहा, “अरे, डरने की क्या बात है? हम तो अपने ही हैं…” कहते हुए उसने उसके बालों में हाथ डालने की कोशिश की।
तन्वी ने उसका हाथ झटकते हुए सिया के पास जाकर खड़ी हो गई। बॉस एक गंदी मुस्कान फेंकता हुआ आगे बढ़ गया।सिया ने तन्वी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “अब उसे शर्मिंदा होने की बारी है।”अगली सुबह, बॉस के घर में हंगामा मचा हुआ था। उसकी पत्नी और बच्चे गुस्से में थे, क्योंकि उनके मोबाइल पर एक वीडियो वायरल हो चुका था।
वीडियो में ऑफिस में बॉस की अश्लील हरकतें कैद थीं, जिसे देख उसके परिवार वाले उससे जवाब मांग रहे थे। बॉस की बोलती बंद थी, वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं था।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। घर का माहौल एकदम ठहर गया। दरवाजा खोलने पर सामने सिया, तन्वी, और राधिका पुलिस के साथ खड़ी थीं। पुलिस के हाथ में हथकड़ी थी, और सिया ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “जैसी करनी वैसी भरनी।”बॉस की हरकतों का पर्दाफाश हो चुका था, और अब उसे अपने किए की सजा भुगतनी थी।
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